हिन्दी विभाग ने मनाया 18वां स्थापना दिवस

हिंदी विभाग का आज 14 मई 2020 को, 18 वा स्थापना दिवस का कार्यक्रम देशभर के हिंदी विभाग के विद्यार्थियों की प्रतिभागिता से सराबोर रहा। इस कार्यक्रम में 80 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की। भारत के राष्ट्रपति भवन में हिंदी क विशेष कार्य अधिकारी डॉ राकेश दुबे से लेकर दक्षिण भारत, गुजरात ,तमिलनाडु हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली शहीद देश भर के तमाम क्षेत्रों से प्रतिभागिता की। माननीय कुलपति प्रोफ एन. के. तनेजा जी ने कहा हिदी विभाग प्रशंसा का पात्र है कि विषम परिस्तिथियों में वेबगोष्ठी का आयोजन कर रहा है, हिंदी विभाग प्रोफेसर लोहनी के निर्देशन में निरंतन प्रगति कर रहा है, हिंदी हमारी संस्कृति, स्वाधीनता, अर्थ और समाज की भाषा है। विश्व विद्यालय का हिंदी विभाग हिंदी के प्रचार प्रसार के साथ हिंदी के विकास के उच्च सोपानों तक पहुँचाने में सहायक होगा। प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला ने कहा कि प्रो लोहनी के निर्देशन में हिंदी विभाग टेक्निकली बहुत आगे है, हिंदी की विभागीय पत्रिका मंथन भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण सोपान है। डॉ राकेश बी दुबे ने कहा कि हिंदी विभाग टेक्नोलॉजी से कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। आइसोलेशन और क्वारन्टीन शब्द हमारे लिये नए नहीं है, भारत से गिरमिटिया मजदूर जब विदेश जाते थे तो उन्हें 15 दिन क्वारन्टीन किया जाता था। हमारा कर्तव्य है कि हम आज के दिन हिंदी सेवियों को याद करें, क्योकि हिंदी में इनका कार्य महत्वपूर्ण है हिंदी विभाग को विश्व विद्यालय स्तर पर प्रवासी साहित्य को पठन पाठन में शामिल किया। भारतीय भाषाओं के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास के लिये भाषाओं में अनुवाद का कार्य होना चाहिए। विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिये हमारी तैयारी क्या है, इस पर भी विचार विमर्श होना चाहिए।हिंदी इस जिम्मेदारी के लिये कितनी तयार है। अन्य भाषाओं के अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से हमें बचना चाहिए, क्योंकि हिंदी में स्थानीयता की खुशबू बची रहनी चाहिये। डॉ अमरनाथ अमर प्रो. लोहनी के निर्देशन में हिंदी विभाग हिंदी के प्रचार प्रसार और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दूरदर्शन के विभिन्न कार्यक्रमों में विभाग के शिक्षिकों और विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की है। प्रोफ लोहनी के निर्देशन में हिंदी विभाग हिंदी के प्रचार प्रसार और विकास में महत्वपूर्ण भमिका निभा रहा है। दूरदर्शन के विभिन्न कार्यक्रमों में विभाग के शिक्षिकों और विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ रवींद्र राणा ने कहा हमारे सांस्कृतिक सरोकारों की भाषा हिंदी का विकास विश्व में तेजी से हो रहा है। दुनिया में 150 से भी अधिक देशों में हिंदी बोली और समझी जाती है। हिंदी दुनिया में बाजार की भाषा के रूप में विकसित हुई है। भारत में हिंदी की एक लाख से भी अधिक पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है। कार्यक्रम का आरंभ करते हुए प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि विभाग के आरंभ सेलेकर विभाग के विकास में विश्व विद्यालय के प्रशासन, शिक्षककों, कर्मचारियों का निरंतर सहयोग प्राप्त होता रहा। हमारा प्रयास है कि विभाग विद्यार्थियों के जीवन को नए आयाम देने में सहायक हो सके। भाषा एक बड़ा औजार है हिंदी सेवी हिंदी के विकास मैं बेहतरीन काम कर हैं शासन और प्रशासन की वेबसाइटों पर हिंदी का बोल है। डॉ विपिन शर्मा ने बताया कि भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी और अन्य भाषाओं का अस्तित्व पठन पाठन से विस्तृत होगा। भाषाओं के साथ साथ बोलियों के संरक्षण की आवश्यकता है। भाषा की समृद्धि, समाज, विमर्शों और वैचारिकता से होती है। डॉ मीनू शर्मा रूस पुरातन काल से भारत का मित्र है। रूस के कई विश्विद्यालयों में हिंदी पठन पाठन में लेखन. अनवाद के कार्य हो रहे हैं, रुसी लोग हिंदी को रुचि से पढ़ते हैं। डॉ सुनील कमार हिंदी विश्व में सम्प्रेषण और बाजार की सबसे बडी भाषा है। विश्व में ऐसा कोई स्थान नही जहां एक लाख की आबादी में कोई व्यक्ति हिंदी बोलता और समझता ना हों। डॉ नरेन्द्र मिश्र हिंदी विभाग में रचनात्मक लेखन और मीडिया लेखन का सामंजस्य बेहतरीन हैं। साथ ही विभागीय कायों में पारदर्शिता भी प्रशंसनीय है। डॉ अमित भारतीय तुम्हारे नाम की दौलत कहीं से मिल नहीं सकती. बिना गरुदेवके बच्चों की बगिया खिल नहीं सकती. बनी बगिया हमारी आपके खं पसीने, जरा सी ईंट भी बुनियाद की तो हिल नहीं सकती। फिरोज खान बदलते समय में हमें बच्चों को पढ़ाने के पारंपरिक तरीकों के साथ साथ नवीन टेक्नोलॉजी के तरीकों को भी अपनाना चाहिए। क्योंकि आने वाला समय टेक्नोलॉजी का है, और शिक्षा के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी अनिवार्य है। डॉ ममता अधाना एवं डॉक्टर मोन सिंह संचालन, डॉ रमेश गौतम. डॉ आरती राणा. डॉ प्रतिभा चौहान कलदीप शर्मा राजेश चौहान, डॉ मिंतू वर्मा, सुश्री वृंदा शर्मा, जगदीप कुमार ,डॉ सुमित नागर श्री अमित भारतीय, डॉक्टरविवेक सिंह, डॉक्टर राजेश ढांढा, डॉक्टर यास्मीन मूमल डॉ अजु सहित लगभग 3:30 घंटे तक चले इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों विद्यार्थियों ने भी प्रतिभागी ताकि विश्वविद्यालय के छात्र छात्रों द्वारा किया गया यह कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षकों का इस कार्यक्रम में कविता पाठ, विभाग के दिनों के अनुभव और हिंदी के वैश्विक होते रूप पर व्यापक चर्चा हुई।