अकेलापन भी अच्छा है


आमतौर पर हम समझते हैं कि बुजुर्ग लोग अकेलेपन का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं लेकिन एक रिसर्च में हैरानी वाली बात सामने आई है जिसके अनुसार किशोर और युवा सबसे ज्यादा अकेला महसूस करते हैं। आज की युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा अकेलापन महसूस करती है, लेकिन स्मार्टफोन और तरह-तरह के गैजेट्स के जमाने में युवा कैसे खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं, यह सोच कर ही हमें हैरानी होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 16 से 24 आयुवर्ग के करीब 40 फीसदी युवा अकेलेपन के कारण डिप्रेशन के शिकार हैं। ऐसे ही एक और शोध में पता चला है कि इंसान का अकेलापन और सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने की उसकी प्रवृत्ति के कारण उस में दिल की बीमारी का खतरा 29 फीसदी और स्ट्रोक का खतरा 32 फीसदी बढ़ जाता है। ब्रिटेन में तो इस समस्या से निपटने के लिए अकेलापन मंत्रालय का गठन किया गया है। ब्रिटिश रेड क्रॉस की मानें तो ब्रिटेन की कुल आबादी करीब 65 मिलियन यानी 650 लाख है। इन में से करीब 9 मिलियन यानी 90 लाख से ज्यादा लोग अकसर या कभी-कभी अकेलापन महसूस करते हैं, लेकिन क्या सच में अकेलापन बहुत खतरनाक है? कुछ लोगों का मानना है कि अकेलापन काफी भयावह होता है और उन्हें अकेलेपन से डर लगता है, तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अकेलापन उनकी लाइफ का सबसे अच्छा समय होता है, क्योंकि यही वह वक्त होता है जब वे अपने बारे में गहराई से कुछ सोच सकते हैं, अपने अनुसार जी सकते हैं और जो मन में आए कर सकते हैें। अमेरिकी लेखिका एनेली रुफस ने तो बाकायदा 'पार्टी ऑफ वन: द लोनर्स मैनीफेस्टोÓ के नाम से किताब लिख डाली है। वो कहती हैं कि अकेले रहने के बहुत से मजे हैं। आप खुद पर फोकस कर पाते हैं। अपनी क्रिएटिविटी को बढ़ा पाते हैं। लोगों से मिलकर फिजूल बातें करने या झूठे हंसी-मजाक में शामिल होने से बेहतर है अकेले वक्त बिताना। 
अमेरिका की सैन जोस यूनिवर्सिटी के ग्रेगरी फीस्ट ने भी इस बारे में रिसर्च की है। फीस्ट इस नतीजे पर पहुंचे कि खुद के साथ वक्त बिताने से आपकी क्रिएटिविटी को काफी बूस्ट मिलता है। इससे आपकी खुद-एतमादी यानी आत्मविश्वास बढ़ता है। आजाद सोच पैदा होती है। नए ख्यालात का आप खुलकर स्वागत करते हैं। अमेरिका की ही बफैलो यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक जूली बोकर के रिसर्च से फीस्ट के दावे को मजबूती मिली है। जूली कहती हैं कि इंसान तीन वजहों से लोगों से घुलने-मिलने से बचते हैं। कुछ लोग शर्मीले होते हैं। इसलिए दूसरों से मिलने-जुलने से बचते हैं। वहीं कुछ लोगों को महफिलों में जाना पसंद नहीं होता। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो मिलनसार होने के बावजूद अकेले वक्त बिताना पसंद करते हैं। जूली और उनकी टीम ने रिसर्च में पाया कि जो लोग खुद से अकेले रहना पसंद करते हैं, उनकी क्रिएटिविटी बेहतर होती जाती है। अकेले रहने पर वो अपने काम पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं। अपनी बेहतरी पर फोकस कर पाते हैं। नतीजा उनकी क्रिएटिविटी बढ़ जाती है। अकेलापन यानी आजादी का यह मतलब नहीं कि बस खाते-पीते, सोते और टीवी देखते रहें। वक्त मिला है, तो अपने अंदर की कला को बाहर निकालें। हर इंसान में कुछ न कुछ खूबी होती ही है, उसे आप पहचानने की कोशिश करें। शांत बैठ कर सोचें कि आप में क्या विशेषता है। अकेलेपन में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मन पर काबू न होना। कई बार मन ऐसी दिशा में बहने लगता है जहां हम खुद को बेहद अकेला महसूस करने लगते हैं। इसलिए अपने मन पर काबू रखें और अपने विचारों को अच्छी बातों पर केंद्रित करें। ये कहना ठीक नहीं होगा कि अकेलापन कोई अभिशाप है, बल्कि एक तोहफा भी हो सकता है आपके लिए, अगर आप चाहें तो। सोचिए कि जिंदगी ने आप को एक मौका दिया है, सिर्फ अपने बारे में सोचने का। पढ़ाई, नौकरी या पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण जो सपने आपके अधूरे रह गए, उन्हें आप पूरा कर सकते हैं लेकिन, अगर अकेलापन बहुत ज्यादा हावी होने लगे तो कुछ उपायों को अपना कर आप अपने पर काबू पा सकते हैं।  कुछ लोग अकेलापन दूर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं जो ठीक नहीं। एक रिसर्च बताती है कि सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिताने वाले लोग ज्यादा अकेलेपन के शिकार होते हैं। आज सोशल मीडिया के कारण ही लोग एक-दूसरे से दूर होते चले जा रहे हैं। जरूरी है कि आप अपने मोबाइल, कंप्यूटर के बाहर की दुनिया से संपर्क साधें। लोगों से मिले-जुलें। परिवार, दोस्त और समाज के बीच ज्यादा वक्त बिताएं और अपने लिए कुछ वक्त निकालें और वो करें जिससे आपको खुशी मिलती हो तो कभी आप पर अकेलापन हावी नहीं होगा।   अच्छा हो कि हम गिने-चुने दोस्त ही बनाएं। उनके साथ ही क्वालिटी टाइम बिताएं। बनिस्बत इसके कि हम रोजाना पार्टियां करें, महफिलें सजाएं, जरूरी नहीं कि आपके आसपास के लोग, उनकी बातें, वहां का माहौल आप को खुशी ही दे। इसलिए उनके बारे में ज्यादा न सोचें। बस, खुश रहें। नए साल पर पार्टी और लोगों से मिलने-जुलने के बाद खुद से भी मुलाकात करें और सोचें कि पिछले साल में आपने क्या गलती की जो इस साल नहीं दोहरानी है, और क्या-क्या अच्छे काम किए जिनसे आपको और लोगों को खुशी मिली, वो जारी रखें। तार्किक सोच को अपनाएं, चिंतन-मनन करें, यही हमारे लिए सबसे ज्यादा अच्छा साबित होगा। तर्क ही है जो इंसान को दूसरे लोगों से अलग बनाता है। (नाजऩीन-हिफी)